न्यायमूर्ति वर्मा केस: सुप्रीम कोर्ट ने कहा राष्ट्रपति और पीएम लें कार्रवाई का फैसला

🏛️ मामले की पृष्ठभूमि
मार्च 2025 में होली की रात दिल्ली स्थित पूर्व दिल्ली हाईकोर्ट न्यायाधीश यशवंत वर्मा के सरकारी आवास में आग लगने की घटना सामने आई। आग बुझाने के दौरान दमकल कर्मियों को वहां जली हुई नकदी के बंडल मिले, जिससे न्यायपालिका की पारदर्शिता और जवाबदेही पर सवाल उठने लगे।
⚖️ सुप्रीम कोर्ट का निर्णय
21 मई 2025 को सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में एफआईआर दर्ज करने की याचिका को खारिज कर दिया। न्यायमूर्ति अभय एस. ओका और न्यायमूर्ति उज्जल भुयान की पीठ ने कहा कि इस मामले की जांच के लिए गठित इन-हाउस समिति की रिपोर्ट पहले ही राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भेजी जा चुकी है।
पीठ ने याचिकाकर्ता अधिवक्ता मैथ्यूज जे. नेडुमपारा से कहा:
“यदि आप ‘मैंडमस’ की याचिका दायर करना चाहते हैं, तो पहले उन अधिकारियों के समक्ष प्रतिनिधित्व करना होगा जिनके पास यह मामला लंबित है। कार्रवाई राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री द्वारा की जानी है।”
🕵️♂️ इन-हाउस जांच समिति
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की गंभीरता को देखते हुए 22 मार्च 2025 को एक इन-हाउस जांच समिति का गठन किया। इस समिति में पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश शीले नागु, हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जी. एस. संधावालिया, और कर्नाटक हाईकोर्ट की न्यायाधीश अनु शिवरामन शामिल थीं। समिति ने अपनी रिपोर्ट में आरोपों को प्रथम दृष्टया सत्य पाया और रिपोर्ट राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को सौंपी गई।
🧑⚖️ याचिकाकर्ताओं की दलीलें
अधिवक्ता नेडुमपारा और अन्य याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया कि सभी नागरिक कानून के समक्ष समान हैं और न्यायाधीशों को भी आपराधिक कानूनों के तहत जांच का सामना करना चाहिए। उन्होंने 1991 के ‘के वीरास्वामी बनाम भारत संघ’ मामले के फैसले पर पुनर्विचार की मांग की, जिसमें उच्च न्यायालय या सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज करने के लिए भारत के मुख्य न्यायाधीश की पूर्व स्वीकृति आवश्यक बताई गई थी।
🔚 निष्कर्ष
सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला न्यायपालिका की आंतरिक जांच प्रक्रियाओं और कार्यपालिका की भूमिका के बीच संतुलन को दर्शाता है। अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री इस रिपोर्ट पर क्या कार्रवाई करते हैं, जिससे न्यायपालिका की पारदर्शिता और जनता का विश्वास बना रहे।
स्रोत: The Times of India